या मौला... हाल ऐ दिल की बेचैनी को करार में तब्दील कर, बंजर होते इन जज्बाती दरख़्तों पर रहमत की कुछ बरसात कर, हम तो तेरे ही फ़क़ीर हैं मौला... हमारी मुश्किलों को कम कर...अपने रहम की कुछ इनायत कर....... ... मेरी कलम... ®$@d!k. m€h@r........77 ©Royal Sadik Mehar77 मदद...या अली...या मेरे परवरदिगार...77 #RAMADAAN