Nojoto: Largest Storytelling Platform

(अंतस्थ भावना) अंतस्थ में जगा एक भावना। कैसे प्र

(अंतस्थ भावना)

अंतस्थ में जगा एक भावना। 
कैसे प्रकट करू मैं वेदना।। 
तुम शीश झुकाये घूम रहे। 
किससे करू ये वंदना।। 
अंतस्थ में जगा एक भावना। 

पग-पग तुम भटक रहे। 
रोजी -रोटी छोड़ चले।। 
कैसा अवसाद ये छा गया। 
बालक भूख से आकुल रहा।। 
अंतस्थ में जगा एक भावना। 

कैसा विपदा छा गया। 
लोग पैदल सड़क पर चल पड़े।। 
छाले पैर में  पड़ गये। 
भूख प्यास सब मिट गया।। 
अंतस्थ में जगा एक भावना। 

उर में व्यथा, अश्क आँखों में। 
निष्ठुर बना ये वक्त है।। 
हार -थक सब सो गया।
 नित्य, बाल भूख से तरस रहा।।
अंतस्थ में जगा एक भावना। 

हालात ही ऐसा बन गया। 
लोग व्यथा में सो रहा।। 
कुछ करने को न समझ रहा। 
मन दिगभ्रमित सा हो उठा।। 
अंतस्थ में जगा एक भावना। 

जगत है मूक पाषाण बना। 
न सुन रहा है वेदना।। 
विफल हुआ सब कामना। 
हर वक्त लोग करते राजनीति वंचना।। 
अंतस्थ में जगा एक भावना। 


   (संगीत कुमार /जबलपुर) 
   ✒️स्व-रचित 🙏🙏🌹 (अंतस्थ भावना) 

अंतस्थ में जगा एक भावना। 
कैसे प्रकट करू मैं वेदना।। 
तुम शीश झुकाये घूम रहे। 
किससे करू ये वंदना।। 
अंतस्थ में जगा एक भावना।
(अंतस्थ भावना)

अंतस्थ में जगा एक भावना। 
कैसे प्रकट करू मैं वेदना।। 
तुम शीश झुकाये घूम रहे। 
किससे करू ये वंदना।। 
अंतस्थ में जगा एक भावना। 

पग-पग तुम भटक रहे। 
रोजी -रोटी छोड़ चले।। 
कैसा अवसाद ये छा गया। 
बालक भूख से आकुल रहा।। 
अंतस्थ में जगा एक भावना। 

कैसा विपदा छा गया। 
लोग पैदल सड़क पर चल पड़े।। 
छाले पैर में  पड़ गये। 
भूख प्यास सब मिट गया।। 
अंतस्थ में जगा एक भावना। 

उर में व्यथा, अश्क आँखों में। 
निष्ठुर बना ये वक्त है।। 
हार -थक सब सो गया।
 नित्य, बाल भूख से तरस रहा।।
अंतस्थ में जगा एक भावना। 

हालात ही ऐसा बन गया। 
लोग व्यथा में सो रहा।। 
कुछ करने को न समझ रहा। 
मन दिगभ्रमित सा हो उठा।। 
अंतस्थ में जगा एक भावना। 

जगत है मूक पाषाण बना। 
न सुन रहा है वेदना।। 
विफल हुआ सब कामना। 
हर वक्त लोग करते राजनीति वंचना।। 
अंतस्थ में जगा एक भावना। 


   (संगीत कुमार /जबलपुर) 
   ✒️स्व-रचित 🙏🙏🌹 (अंतस्थ भावना) 

अंतस्थ में जगा एक भावना। 
कैसे प्रकट करू मैं वेदना।। 
तुम शीश झुकाये घूम रहे। 
किससे करू ये वंदना।। 
अंतस्थ में जगा एक भावना।