कोई पंजे के बल से तो कही फूल से कुर्सी सजाते हैं हम तो उम्मीद भरी निगाहों से खाली हाथ ताली बजाते रह जाते हैं। कही न कही जानते हैं बेशक हमारा कुछ होगा नही खाली पेट सज धज कर निकलते हैं घर इन दिनों किसी कि शादी का रिसेप्शन होगा ही। दुनियां बदल गई हैं जनाब डिग्री लिए लोग चपरासी कि नौकरी के लिए भी लड़ते है चाय बेचने वाले हाथ तो अकसर हम टीवी पर देखा करते हैं। अमीरों के तो जलवे ही जलवे हैं जनाब गरीब तो पसीना बहा कर भी भूख से मर जाता हैं यू तो सबसे प्यारी हमारी भारत माता हैं वो भी 26 जनवरी के 2 रोज़ पहले ही याद आता हैं। हकीकत तो बस इतनी है कि कर्ज से जलती लाशों को छोटा-सा कोना दे ही दिया जाएगा अख़बार के फ्रंट पेज में तो बस कैटरीना का हलवा ही आएगा। ©gumnaamalfaaz हकीकत #zindagikerang #policitics #Poet #poem #कविता