कई हज़ार ख्वाहिशों को एक पल मे यहाँ खोते हुए देखा है, कि मैने जिंदगी को करीब से बोहोत रोते हुए देखा है। बस दो रोटी कि चाहत मे आशाओं के सपने पिरहोते देखा है, कि मैने जिंदगी को करीब से बोहोत रोते हुए देखा है। ऐ खुदा कई बरस लगे होंगे तुझे मिट्टी मे जान फूँक इंसान बनाने में, फिर क्यूँ एक पल लिया तूने खुद मिट्टी कि मूक मूरत बन जाने में। क्यूँ मशरूफ है तू दूध दही कि बारिशों तले नहाने मे, कलियुग मे अंत करने आऊंगा बस यही किस्सा दोहराने में, पर तुझसे पहले तेरे बनाए इंसानों को कल्कि बन तबाही के बीज बोते हुए देखा है, कि मैने जिंदगी को करीब से बोहोत रोते हुए देखा है। यहाँ हर कोई भटक रहा है जो दिखता नहीं, जो है नहीं उस तिलस्मी चिराग की तलाश में, क्या ढूँढ रहा है क्या खो रहा है उसे पता हि नहीं हम से मैं बनने की आस में। दो अन्न के दानो कि पुकार के सामने दुनियाँ के ज़मीरों को सोते हुए देखा है, कि तेरे मंदिर नुमा आशियाने के बाहर भी कइयों को भूके पेट सोते हुए देखा है, तेरी बनाई ज़िंदगी को ज़िंदगी के सामने बिलखते सिसकते खत्म होते हुए देखा है। ऐ खुदा अब तो जाग जा कि मैने जिंदगी को करीब से बोहोत रोते हुए देखा है। #shaayavita #bhookh #garibi #duniyaa #laachar #nojoto #roti