महसूस करती हूँ तेरी मौजूदगी को मैं तुझसे दूर मैं अब ना रहना चाहूँ। मेरे दिल की हर धड़कन में बसता है तू अपने जज़्बातों से तुझे मैं छूना चाहूँ। इंतजार है तुम्हारा नहीं जानती मैं कि मेरी ज़िंदगी का इतना अहम हिस्सा कैसे बन गए हो तुम। पहले भी तो जीती ही थी मैं। शायद वो जीना नहीं था। सिर्फ़ ज़िंदा रहने को तो जीना नहीं कहते। सिर्फ़ साँसों का आना जाना ही तो जीवन नहीं। जब तुझसे मिली मैं पहली बार, लगा मुझे कुछ तो है हमारे दरमियां। तुम्हारे प्यार को करीब से महसूस किया मैंने। ज़िंदगी यकायक से खूबसूरत लगने लगी मुझे। जीने की आस जो छोड़ चुकी थी मैं, फ़िर से जीने का मन करने लगा। उस कुछ ही समय में भरपूर जी ली मैं। पूरी ज़िंदगी तुम्हारे साथ जीने क