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सबके हिस्से में आता है, रवि सब की रच देता है वह छ

सबके हिस्से में आता है, रवि
 सब की रच देता है वह छवि
 शरदकाल के ठंड भरे संताप से
संतुष्ट होते जीव सूर्य के ताप से
सूर्य से ही चलती है अपनी यह सृष्टि
समुद्र के जल को खींच कराये वृष्टि
समय हो अनुकूल तो दिनेश करे निहाल
ग्रीष्म में यही सूर्य कर देता बदन निढाल

©Kamlesh Kandpal
  #rvi