ए वक्त जरा संभल जाने तो दे, बस डगमगाते संभल ही रही हूं, ज़रा सांस लेने तो लेने ही दे , ए वक्त ज़रा संभल जाने तो दे। उलझनों को एक ओर से सुलझा तो रही हूं, जरा समझ लेने ही दे, ज़रा ठहर जाने ही दे, ए वक्त ज़रा संभल जाने तो दे । आहे भर जानें घड़ी के लिए सही, जरा रफ्ता रफ्ता रास्तों मे चलने ही दे, ये रफ्तार तेरी मुझे कही खो न ले, ए वक्त ज़रा संभल जाने तो दे । न जाने कितने किस्सों के हिस्से मे, मेरे हिस्से के कितने हिस्से हो गए, तूने संभालने का मौका न दिया, न जाने कहा और कितनी राहों मे, मैंने खुद को खो दिया...... प्रेरणा युक्ता ©Prerana"Yukta" #me