बड़ा इश्क़ इश्क़ करते हो, मोहब्बत मोहब्बत चिल्लाते हो तो बताओ फिर नज़रे झुकाकर दुनियां से क्या छिपाते हो ।। कुछ भी तो नया नही तुम्हारी मेहंदी में मेरा नाम होना हर बार फिर हर बार तुम इसे मेहंदी की गुश्ताखियाँ क्यों बताते हो ।। पायल,काजल,आँचल हर श्रृंगार को क्यों मेरा नाम सुनाते हो कलियों, शाखों और झूलो संग क्यों मेरे गीत गुनगुनाते हो ।। वाकिफ हूँ, मेरी सलामती की दुआ रोज़ होती है तेरी हर सांस में तो आइनों को देख कर हर बार मेरा प्यार क्यों झुठलाते हो ।। आंगन की रंगोली में मेरी पसंद का लाल रंग क्यों सजाते हो पसंद नही अगर लाल रंग तुम्हे तो हर दुप्पटा लाल क्यों लगाते हो ।। सजा रखी है चौखट मैंने भी कबसे तेरे आने के इंतज़ार में अब हक़ीक़त भी बन जाओ क्यों हर बार ख्वाब बन जाते हो ।। ©Unbreakable Dharma pandit #lonely