दर्द आंखों तक उतर आया है, होंठो को सिया जाए कैसे ज़हर है या है इसमें शराब, पिये बिन बताया जाय कैसे.. अख्श नही तुम्हारा नाम भी नही, बेशकीमती सही छिया जाय कैसे.. शुबह होने में चांद तारे बाकी हैं चिराग भला बुझा दिया जाय कैसे.. दामन कलम किरदार फिसल रहा है ठीक हालात किया जाय कैसे ©Deepak Mishra #फेरो_न_नज़रों_को #Fero_na_Nazaron_ko #कलमगीर #Kalamgeer_ #hindi_poetry #hindi_poem #hindi_shayari #hindi_quotes #8LinePoet