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भोर हुई है अब जाग उठो, कमर कस अब स्वयं उठो। जगती क

भोर हुई है अब जाग उठो,
कमर कस अब स्वयं उठो।
जगती के अब नए रूपो में,
स्वयं का ले अब विश्वास उठो।।
मन में हो चाहें किवदंती ?
पूर्ण करेंगे वो किवदंती ।
लक्ष्य की ज्वाला हो उठती,
पूर्ण करने की हो परमशक्ति।।
 जागरण......
भोर हुई है अब जाग उठो,
कमर कस अब स्वयं उठो।
जगती के अब नए रूपो में,
स्वयं का ले अब विश्वास उठो।।
मन में हो चाहें किवदंती ?
पूर्ण करेंगे वो किवदंती ।
लक्ष्य की ज्वाला हो उठती,
पूर्ण करने की हो परमशक्ति।।
 जागरण......