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यादें-ए-इश्क से अब बफा नहीं करते, रहते है खामोश अब

यादें-ए-इश्क से अब बफा नहीं करते,
रहते है खामोश अब लफ्ज़ बया नहीं करते।
अकेलेपन से जो कभी-कभी तसल्ली मिलती है,
भूल जाता हूं सारे गम जब, उससे मेरी निगह मिलती है। #यादें-ए-#इश्क से अब #बफा नहीं करते,
रहते है #खामोश अब #लफ्ज़ #बया नहीं करते।
#अकेलेपन से जो कभी-कभी #तसल्ली मिलती है,
#भूल जाता हूं सारे #गम जब, उससे मेरी #निगह मिलती है।
#khnazim
यादें-ए-इश्क से अब बफा नहीं करते,
रहते है खामोश अब लफ्ज़ बया नहीं करते।
अकेलेपन से जो कभी-कभी तसल्ली मिलती है,
भूल जाता हूं सारे गम जब, उससे मेरी निगह मिलती है। #यादें-ए-#इश्क से अब #बफा नहीं करते,
रहते है #खामोश अब #लफ्ज़ #बया नहीं करते।
#अकेलेपन से जो कभी-कभी #तसल्ली मिलती है,
#भूल जाता हूं सारे #गम जब, उससे मेरी #निगह मिलती है।
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khnazim8530

Kh_Nazim

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