" मैंने भी तन्हाई में रातें गुजारी हैं। वो इसलिए नही कि तुम्हे पा सकूं, वो इसलिए कि तुम्हे पाने की ज़िद मेरे दिल मे बरकरार रहे। मुझे उस लम्हे को पाने को उकसाती रहे। क्यों कि जिस दिन मैं तुम्हें पा जाऊंगा । उस दिन मेरी ज़िद मुझसे रूठ जाएगी ,दिल ख़ुदग़र्ज़ हो जाएगा। और तुम्हे पाने का वो लम्हा बोर हो जाएगा, उदास हो जाएगा। तब हम थके हुए कछुए की तरह , मेढ़ से गर्दन उठा कर देखेंगे कि अभी और कितनी दूरी तय करनी है।" DRP. दूरी तय करनी है....?