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या तो समझौता कर या यूँ ही चला चल.. ज़िन्दगी है खाक

या तो समझौता कर
या यूँ ही चला चल..
ज़िन्दगी है खाक कि तु 
ठोकरों पर लुटाता चल...
समझौतों पर चमकते कुछ
पत्थर तो मिल सकते हैं 
पर क्या ?
ख़ाक कि चमक ख़ाक न होंगी ?
और जो यूँ ही चले
तो क्या ?
ख़ाक से ख़ाक मे मिल
रूह गुलिस्तां न होगी ?

©Jai Pathak
  #ख़ाक