तेरी बातो की शीतलता हो जैसे लेह का पानी तो फिर आंखे धधक्ती क्यूं हो जैसे युद्ध में काली तू बिलकुल बर्फ जैसा है कभी तू अर्श जैसा है अगर जो थाम भी ले तो जलेगें तेरी ठंडक में अगर हम पा भी ले तुझको गिरेंगे तेरी नाज़रो में लो जलना चुन लिया हमने मगर हम गिर ना पायेंगे ये आंखे इितनी गेहरी है की हम फिर मिल ना पायेंगे जो जलते रह गए हम तो कभी ये बर्फ पिघलेगी फिर होंगी बातें ऐसी की सारी दुनिया ये बोलेगी तेरी बातो की शीतलता हो जैसे लेह का पानी ©HARSH UPADHYAY #love #selfless #paper Ibrat @internetjockey