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मुक्तक:–अनशन पंख बिन परवाज करता नित्य ये मन। पर 

मुक्तक:–अनशन

पंख बिन परवाज करता नित्य ये मन।
पर  सुनहरे  बेड़ियों  में  है  बँधा  तन।
चाहतें  तो  जिंदगी  में  हैं   बहुत  सी।
आदतें करतीं  मगर दिनरात अनशन॥

©दिनेश कुशभुवनपुरी
  #मुक्तक #अनशन #मन #पंख