कवि प्रदीप स्वामी की कलम से मन की बात –------------------------------------ तब टूटा फूटा मकान था, नहीं अच्छा खानपान था। पर घर में माँ बाप थे, इसलिए मैं बेटा धनवान था।। माँ की ममता थी, माँ का प्यार था, पिता की ताकत थी, पिता का दुलार था। अभाव थे बहुत लेकिन, परिवार हमारा बहुत शानदार था। आज कार है,बंगला है, सारे साजो सामान है। पैसा है,दौलत है, माँ सरस्वती,लक्ष्मी का वरदान है। अब सब कुछ है घर में, पर ममता बरसाने वाले हाथ नहीं है, मुसीबत से उबारने वाले, पिता साथ नहीं है। काश कोई ताकत होती , जो सारा सुख वैभव ले जाती। और बदले में मेरे माँ बाप मुझे दे जाती। ©Kavi Pradeep Swami #मां #मनकीबात #प्रदीपस्वामी #कविप्रदीप #माबाप #Hopeless