बेशक़ गिरा दो दुःखों की बिजलियाँ इरादे मेरे तोड़ न पाओगे। तुम जितनी कोशिश करोगे हमको उतना ही ख़ुश पाओगे। वक़्त और हालात कभी ठहरते नहीं हमको तुम सदैव एक जैसा पाओगे। हमने पढ़ कर नहीं देखी गीतोपनिषद्! हमको उसमें जीता हुआ पाओगे। वह जो ये कहते हैं कि सबकुछ ठीक है! उनमें तुम हमको न गिन पाओगे। मर्द को दर्द नहीं होता या होता है? महाराणा सांगा होकर जान पाओगे। 🎀 Challenge-398 #collabwithकोराकाग़ज़ 🎀 यह व्यक्तिगत रचना वाला विषय है। 🎀 कृपया अपनी रचना का Font छोटा रखिए ऐसा करने से वालपेपर खराब नहीं लगता और रचना भी अच्छी दिखती है। 🎀 विषय वाले शब्द आपकी रचना में होना अनिवार्य नहीं है। अपने शब्दों में अपनी रचना लिखिए।