दिन इतवार का था ,शुरूआत ए शाम हुई थी नुक्कड़ वाले लल्लन की एक चाय मेरे नाम हुई थी गर्मागर्म चाय के प्याले को लबों से लगाया ही था तभी मेरे सामने एक हसीना की स्कूटी जाम हुई थी फंस गया था पहिये में दुपट्टा उसके शाने से फिसल कर शरारत जो की स्कूटी ने वो भी सर ए आम हुई थी मैं उठा उसके करीब जाकर उसकी मखमली उंगलियों में चाय का प्याला थमाया बिन फाड़े उसका दुपट्टा जो दिया निकाल कर उसी लम्हे उसकी दोस्ती हमे इनाम हुई थी आमिल #मेरीउससेपहलीमुलाकात