******************* शायद श्रेष्ठता की परिभाषा उनकी यह है कि मानव ही दुनिया भर के आविष्कार करता है, ऊंची ऊंची इमारतें और प्रतिमाएं बनाता है, चाँद पर जाता है, मंगल पर जाता है, किताबें लिखता है, पढ़ता है.…और यह सब कार्य बाकी प्राणी नहीं कर पाते | तो मानव श्रेष्ठ हो गया किन्तु मेरी नजर में ये श्रेष्ठता का मानदंड नहीं हो सकता ""तो फिर मानवता क्या है मानवता की परिभाषा क्या है ?"" 👉 किसी को लगता है कि मुसलमान हो जाना मानवता है, तो किसी को लगता है हिन्दू हो जाना मानवता है | किसी को लगता है कि उसका मजहब ही मानवता सिखाता है और बाकी सभी मजहब पशुता या दानवता सिखाते हैं | किन्तु परिभाषा किसी को नहीं पता | 👉फिर भी दो बातें ऐसे अवश्य आये जो मानवता को आँशिक रूप से अवश्य परिभाषित करते हैं | “इंसानियत का अर्थ यही है कि अगर दूसरे का दुःख दूर न कर पाओ तो उसके दुःख को आपस में इतना बांट लो, कि दुःख का अस्तित्व ही समाप्त हो जाए |” एवमं