****अहम का वहम**** समंदर का दर्प चूर हो गया जब कागज उस पर से तैर कर पार हो गया एक दीया अंधेरे से लड़ जग रोशन कर गया तब सूरज ज़लकर राख हो गया आँधी ने पेड गिरा दिया एक घास अपनी जगह अडा रह गया जस -जस बाढ़त अहम के खेती तस -तस बुद्धि नसाय गिरत गर्त में मानुष करहीं कौन उपाय जैसे आम तरू पे लागत डाली झुक जाये पंथी को छाया देत फल से क्षुधा मिट जाये हे , मानुष गर्ब न कीजे जो धन बाढ़त जाय दुनो हाथ उलिचिये धर्म-कर्म बन जाय मानुष तन पायो है मन से नाता ज़ोड के परहित कारज कइले बन्दे जन्म सुफल होई जाय #gif ****अहम का वहम**** समंदर का दर्प चूर हो गया जब कागज उस पर से तैर कर पार हो गया एक दीया अंधेरे से लड़ जग रोशन कर गया तब सूरज ज़लकर राख हो गया