कर हौसला बुलंद , जीत जाएगा तू .. मार कर छलांग , निकल आएगा तू .. दूरियां ... घर से , कुछ पल की है , इन पल्लो को , जल्द बिताएगा तू । यकीन कर , पूर्णिमा का चांद है तू .. रात तक सबर कर , निकल आएगा तू! ©Sachin Dwivedi🌛 कर हौसला बुलंद ..!