घर का रास्ता पिया तू गयो जबते परदेश, तोहे भाये ना घर ना आपनो देश, खननखनन सुने पैसे की झनकार, तू ना सुने और कोई दूजी आवाज़ साँची बोल कहीं भाई तो ना दूजी नार, जे खेत जे बाग जे आमन पे झूले, याद दिलायें तेरी चूगली तेऊ ना चूके, मोरी सहेली अब चिढाए लागी हैं, कर मोते अपने पिया की बोली, दिन बड़े लम्बे मेरे रतिया बडी बैचेन, पिया तोरे बिना नाय कटे दिन नाय रैन, ऐरी हवा तूही जा मोरे पिया के पास, नेक पूछ तो आ चौं भूल वो घर आवै की गैल।। #अंकित सारस्वत# #घर का रास्ता देशी वर्जन