शहर में रहगुज़र थे,रहनुमा था शहर मे कामयाबी,दाँव भी था शहर में पेंड़ भी था,छाँव भी था मगर टिकता ना मेरा पाँव ही था ✍️✍️ रवि श्रीवास्तव (गाँव-माचा/जिला-बस्ती) ©Ravi Srivastava #humantouch