Nojoto: Largest Storytelling Platform

बचपन और क्रिकेट हाय! ये कैसे खेल का नाम ले लिया; क

बचपन और क्रिकेट हाय! ये कैसे खेल का नाम ले लिया;
क्रिकेट कि क्यों याद दिला दी;
इसमें आत्मा बसती थी;
खुद को सचिन, द्रविड़ समझते थे;
मौसम चाहे जो भी हो कुछ न समझते थे;
स्कूल के बाद सारा टाइम ग्राउंड में बिताते थे;
खूब स्टाइल मारते थे;
खिलाड़ियों के नकल उतारते थे;
इस खेल पर जान छिड़कते थे;
सपने में भी खेलते थे;
घर को ग्राउंड बनाते थे;
घर के बड़े चिल्लाते थे;
लेकिन हम कहाँ मानने वाले थे। हाय! ये कैसे खेल का नाम ले लिया;
#क्रिकेट कि क्यों याद दिला दी;
इसमें आत्मा बसती थी;
खुद को सचिन, द्रविड़ समझते थे;
#मौसम चाहे जो भी हो कुछ न समझते थे;
स्कूल के बाद सारा टाइम ग्राउंड में बिताते थे;
खूब स्टाइल मारते थे;
खिलाड़ियों के नकल उतारते थे;
बचपन और क्रिकेट हाय! ये कैसे खेल का नाम ले लिया;
क्रिकेट कि क्यों याद दिला दी;
इसमें आत्मा बसती थी;
खुद को सचिन, द्रविड़ समझते थे;
मौसम चाहे जो भी हो कुछ न समझते थे;
स्कूल के बाद सारा टाइम ग्राउंड में बिताते थे;
खूब स्टाइल मारते थे;
खिलाड़ियों के नकल उतारते थे;
इस खेल पर जान छिड़कते थे;
सपने में भी खेलते थे;
घर को ग्राउंड बनाते थे;
घर के बड़े चिल्लाते थे;
लेकिन हम कहाँ मानने वाले थे। हाय! ये कैसे खेल का नाम ले लिया;
#क्रिकेट कि क्यों याद दिला दी;
इसमें आत्मा बसती थी;
खुद को सचिन, द्रविड़ समझते थे;
#मौसम चाहे जो भी हो कुछ न समझते थे;
स्कूल के बाद सारा टाइम ग्राउंड में बिताते थे;
खूब स्टाइल मारते थे;
खिलाड़ियों के नकल उतारते थे;