ख़ामोश जुबां ख़ामोश रही जज़्बातों की दुहाई निगाहों से निकली अजी आप ठहरे बहुत पढ़े-लिखे हमारे बच्चपने की कहानी तो कामों में निकली प्रेम के सताए हैं सारे जाहाँ में अजी मेरी मुहब्बत है ठहरी सच्ची जान चाहे निकली पर मुहब्बत न निकली लिखत प्रिंस