"गुलशन का माली " ================ ये जो घर बना हैं,, मेरे पापा की बदौलत हैं, इसकी हर ईट में जान बसी हैं मेरे पापा की,,, एक-एक बूँद इकट्ठा कर अपनी मेहनत से इसे सिंचा है,, उन्हें हमारे गुलशन का माली भी कहूँ तो कोई अतिशयोक्ति नहीं होगी,, जैसे माली अपनी लग्न-मेहनत सेज अपने गुलशन को आबाद रखता है वैसे ही मेरे पापा हमारे घर-अँगना को सदैव अपनी खुशबू से महकाते रहते हैं ,,, ये जो घर बना हैं... मेरे पापा की बदौलत ही हैं | विपीन शर्मा'आरव' माली