वो भी क्या एक दौर था जब हम शहर की चहल कदमी से दूर निकल पड़ते थे किसी शांत वातावरण की तलाश में समुंदर का किनारा,सिर्फ़ लहरों की आवाज़ शाम का आलम और सुरमई सिंदूरी शाम मेरे हाथों में तुम्हारा हाथ मेरी आँखों की गहराई में गोते लगाती तुम्हारी आँखे जैसे सिर्फ़ प्यार और सुकूँ की तलाश में हैं.......♥️ ©Richa Dhar #proposeday sinduri sham