हौसला भी झुका नहीं, आस भी टूटी नहीं। चलती नहीं ज़िन्दगी भी अब और मौत भी आती नहीं। रोशनी से है दुश्मनी, अंधेरे मेरे ज़ख़्म हैं। चारागर से गिला कैसी जब चश्म-ए-नम मुस्कुराती नहीं। न हमसफर कोई न अब किसी हम कदम की तलाश है, मर चुकी आरज़ू-ए-दिल और तमन्नाएं भी कुलबुलाती नहीं। चलती नहीं ज़िन्दगी भी अब और मौत भी आती नहीं। ~Hilal #Maut_Bhi_Aati_Nhin #Shayri #Sadness