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यूँ ही नहीं बनती पहचान, खुद के वक्त को गवाया है मै

यूँ ही नहीं बनती पहचान,
खुद के वक्त को गवाया है मैंने
अपनी पहचान बनाने के लिए 
खुद को सौंपा है मैंने
हर छोटी सी छोटी जरूरतों पर 
काम किया है मैंने 
अपनी नींद और चैन भी
हारा है मैंने
दूसरों की तानों को
चुप चाप सुना है मैंने
खुद को बनाने में 
खुद को संवारा है मैंने

©Nitu Singh जज़्बातदिलके
  यूँ ही नहीं बनती पहचान,
खुद के वक्त को गवाया है मैंने
अपनी पहचान बनाने के लिए 
खुद को सौंपा है मैंने
हर छोटी सी छोटी जरूरतों पर 
काम किया है मैंने 
अपनी नींद और चैन भी
हारा है मैंने

यूँ ही नहीं बनती पहचान, खुद के वक्त को गवाया है मैंने अपनी पहचान बनाने के लिए खुद को सौंपा है मैंने हर छोटी सी छोटी जरूरतों पर काम किया है मैंने अपनी नींद और चैन भी हारा है मैंने

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