यहां लोग बड़े अज़ीब ढंग से मिलतें हैं ख़ुद को अपनां कहतें हैं कभी परायों से व्यवहार करतें जातें हैं यहां लोग बड़े अज़ीब ढंग से मिलतें हैं ख़ुद तन्हां होतें हैं तो हमें खोज़ लातें हैं अपनें वक्त में यूं मशरूफ़ करा जातें हैं ख़ुद का आसमां ढूंढतें हैं हमें बहका लें जातें हैं हमें भी कुछ कहनां होगा वों क्यों भूल जातें हैं हम कुछ बयां भी करें तो ख़ामोश हो जातें हैं यूं भी किससे कहें हम, ओर कैसे कहें अक्सर अपनें दामंन को अपनें दामंन में थामां हुआ पातें हैं यहां लोग बड़े अज़ीब ढंग से मिलतें हैं दिखतें कुछ तो दिखातें कुछ हैं ओर दिखाकर कुछ जातें हैं बड़े ख़ुदग़र्ज़ से होतें हैं ये लोग जो अपनां कहतें हैं ख़ुद की तन्हांई दरकिनार करतें हैं हमें और तन्हां छोड़ कर चले जातें हैं यहां लोग बड़े अज़ीब ढंग से मिलते हैं इक वीरानें से जुदा करतें हैं इक वीरानें में छोड़ जातें हैं #Nojoto #तन्हां #ख़ुदग़र्ज़