आजकल गिरगिट से ज्यादा इंसाँ रंग बदलता है मोम से चेहरे पर पत्थर सा दिल पलता है विविध बाधाएं तोड देती है ख्वाबो का आशियाना उम्मीदों का हारा कछुआ से धीरे चलता है ना-जाने किस बात का गुमान करता है शख्स सूरज निकलता जरूर है मगर वो भी ढलता है पडोसी कितना भी अच्छा क्यों ना हो जाए मगर कही ना कही हमारी खुशिओं से जलता है ईश्वर अनुराग तेरा सच्चा है तो बता क़्यो अकेले राहों मे चलने से डरता है।। #Realquotes#December#emotions#Trendingsher#Shayari