मन्दिर की घंटी ,या मस्जिद की नमाज तुम हो श्याम या फिर फर।ज बनों मत उनकी, कठपुतलिया जो करते है मुल्क पे, राज बस एक वोट जितनी औकात है, तुम्हारी फिर तुम वंही पऔँ की जुत्ती वोह फिर सरताज नही फरक पडना है उनको हो मन्दिर के घंटी या मस्जिद की नंमाज Have a simple Heart,but twisted mind