शहर खुशियों का गगन छोड़कर लहरों में फंस गए। चिड़ियों की चहक छोड़कर बहरों में फंस गए ।। उस गोद से आने में कुछ मजबूरियां भी थी। गांव की मिट्टी छोड़कर शहरों में फंस गए।। ✍️✍️rs dahiya