खुदा अब गवाह है मिली जो सजा है तुझ बिन कैसे मैं जी पाऊंगी हर घड़ी सताती हैयादेँ रुलाती हैं ऐसा कोई करता है जान को जान से जुदा करता है तुमने तो सोचा भी ना कैसे मैं रह पाऊँगी फैसला जो तुमने सुनाया है इश्क़ की राहों में काटें तुमने बिछाएं हैं मैं उन काँटों पे भी सुकून से चलूँगी सारे जहाँ की खुशियां तुमको मुबारक हो मैं अश्कों से ही महफ़िल सजाऊंगी मजबूरिया गिनवाते रहे कभी जान की मजबूरी भी समझ लेते मैं जो इस काबिल ना थी तो तुम बात आगे ही नही बढ़ाते जान हूँ मैं हमेशा ये वादा नही करते जिस भरोसे पे ख्वाहिशे मैंने देखी थी उन ख्वाहिश को तुम नही उजाड़ते । @सारिका पाल #खुदा,-अब गवाह है