का समा.... दिल में नई उम्मीदें, हो रहीं जवां इनके सहारे.... बस चलता रहे, ज़िंदगी का कारवां सुप्रभात! सभी जुगलबंदी परिवार के साहित्यिक प्रेमियों को। सुबह-सुबह आपका मन क्या करता है बताईये।। जुगलबंदी कर के अपने एहसासों को जगाइये। "आईए जुगलबंदी कीजिये इस प्यारे से भोर की बैकग्राउंड के साथ और कीजिये अपने जुगलबंदी की शुरुआत उत्साह के साथ।"