सबको यहाँ, बस अपने ही, मतलब से मतलब हैं जो था यहाँ कल, आज हैं, और बस वहीं अब हैं मण्डी फकीरों की लगी , बिकता ख़ुदा देखा अब तो दुआओं में भी, उनके उनका मतलब हैं रिक्शे चलाने वाले भी , बाबा थे बचपन में बच्चों को भी क्या इल्म, के क्या अदब अब हैं दौलत की चम चम में, यहाँ सब चमचमाता हैं सिक्कों की ये आवाज़ हमदम , क्या गज़ब ढब हैं अब तो यहाँ हर बात में, बस आप दिखता हैं ख़ुद के ख़ुदा हम आप हैं, और आप ही रब हैं दीपक सिसोदिया मतलब ही मतलब....