किसी ख़ुल्द से कम नहीं, तेरा ये रौशन जहांँ तेरी रौशनी में महफूज़ है मोहब्बत भी यहांँ बड़ी शिद्दत से हम सब, तेरा ऐतबार करते हैं तू चांँद नहीं, तुझे हम मोहब्बत का चांँद कहते हैं ये तेरी बादलों से लुका छिपी, तेरा ये मुस्काना सब धर्मो में तू ख़ास, तुझे देखने का नया बहाना कभी करवा चौथ, कभी ईद पर तेरा दीदार करते हैं तू चांँद नहीं, तुझे हम मोहब्बत का चांँद कहते हैं कौन कहता है तुझमें दाग है, तू तो निश्छल बेदाग है तेरी इस खुशबू हम आबाद, न कोई फ़िक्र न अवसाद है हम सबका प्यारा तू चँदा मामा, तुझे बेइंतेहा प्यार करते हैं तू चांँद नहीं, तुझे हम मोहब्बत का चांँद कहते हैं 🎀 Challenge-213 #collabwithकोराकाग़ज़ 🎀 यह व्यक्तिगत रचना वाला विषय है। 🎀 कृपया अपनी रचना का Font छोटा रखिए ऐसा करने से वालपेपर खराब नहीं लगता और रचना भी अच्छी दिखती है। 🎀 विषय वाले शब्द आपकी रचना में होना अनिवार्य नहीं है। आप अपने अनुसार लिख सकते हैं। कोई शब्द सीमा नहीं है।