क्यों तू मुझको समझ नहीं पाता बस यही बाते मुझे रात दिन सताती है मैं अगर कहूं कोई बात ओर उसका जवाब मेरे हक में ना आयागा इसलिए ना जाने कितनी बातें मेरे दिल में ही दफ़न रह जाती हैं, हर साँस में उठता है एक दर्द नया सा, ये मुझे कितना तड़पती है नज़रें तो उतर आती हैं, पर दिल में बसते हैं तेरे ही ख़याल, ये बेचैनी का आलम, ओर तेरी यादें मुझे कितना रुलाती है ना जाने कितने सपने टूटे मेरे, कितने अरमान अधूरे रहे मेरे , ये यादों के सागर में, ये तन्हाई की आग क्यों मुझको इतना जलती है हर मोड़ हर रस्ते पर मिलता है, मुझे तेरा ही कोई निशान, ये तेरी जुदाई का गम, ये रातें क्यों नहीं जाती हैं। ख़ामोशी से बोलता है, ये मेरे दिल का हर एक कोना कोना, तेरी आवाज़ सुनने को, ये कान तरसते हैं पर तेरी आवाज क्यों नहीं आती है काश तू समझता मुझे भी कभी "की मेरी धड़कन से यह आवाज बार बार आती है ना जाने कितनी बाते मेरे" दिल में ही दफन रह जाती हैं ©Starry Star #Hum शायरी