अनजान सफ़र, न मंज़िल का ठिकाना है, मैं चलती हूं फिर भी, न जाने कहां तक जाना है, हजारों मंजिलें रह गईं हैं पीछे, मुझको उसके खातिर, बस चलते जाना है,, 👉🏻 प्रतियोगिता- 580 विषय 👉🏻 🌹"मंज़िल"🌹 🌟 विषय के शब्द रचना में होना अनिवार्य है I 🌟कृपया font size छोटा रखें जिससे wallpaper ख़राब नहीं लगे और Font color का भी अवश्य ध्यान रखें ताकि आपकी रचना visible हो। 🌟 पहले सावधानी पूर्वक "CAPTION" पढ़ें और दिए हुए शब्द को ध्यान में रखते हुए अपने ख़ूबसूरत शब्दों एवं भावों के साथ अपने एहसास कहें।