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एक पेड़ था मैं दोस्ती का, जिसपर कई अजनबी परिंदों

एक पेड़ था मैं दोस्ती का, 
जिसपर कई अजनबी परिंदों का आना जाना हुआ

हर परिंदे ने मुझसे दोस्ती की, 
और मेरी डाली पर, कुछ परिंदों का ठिकाना हुआ

हर रोज़ कुछ परिंदे आते हैं, 
कुछ रुकते हैं, तो कुछ उड़ जाते हैं

एक दिन एक प्यारी चिड़िया, आकर मुझपर बैठी थी
थोड़ी परेशान थी वो, पर उसकी बातें बड़ी मीठी थी

एक बात अच्छी थी उसमें, वो मुझसे न शर्माती थी
जब भी उसका मन होता था, वो गाकर मुझे सुनाती थी

उससे मुँह मोड़ लूँगा मैं 
ऐसा मुझसे बोली थी

मुँह से वो कुछ भी बोले
पर दिल की बड़ी भोली थी

अब न जाने क्या हुआ है उसको
अब यहाँ नहीं वो आती है

नजरें उसको दूर तक ढूँढे पर नज़र नहीं वो आती है.

तुम ही वो चिड़िया हो मेरी 
मेरी यादों में तेरा ठिकाना हुआ

आजाओ न वापस फ़िर से
तुम बिन ये पेड़ वीराना हुआ 

एक पेड़ था मैं दोस्ती का, 
जिसपर कई अजनबी परिंदों का आना जाना हुआ
हर परिंदे ने मुझसे दोस्ती की, 
और मेरी डाली पर, कुछ परिंदों का ठिकाना हुआ #tree एक पेड़ था मैं दोस्ती का, 
जिसपर कई अजनबी परिंदों का आना जाना हुआ

हर परिंदे ने मुझसे दोस्ती की, 
और मेरी डाली पर, कुछ परिंदों का ठिकाना हुआ

हर रोज़ कुछ परिंदे आते हैं, 
कुछ रुकते हैं, तो कुछ उड़ जाते हैं
एक पेड़ था मैं दोस्ती का, 
जिसपर कई अजनबी परिंदों का आना जाना हुआ

हर परिंदे ने मुझसे दोस्ती की, 
और मेरी डाली पर, कुछ परिंदों का ठिकाना हुआ

हर रोज़ कुछ परिंदे आते हैं, 
कुछ रुकते हैं, तो कुछ उड़ जाते हैं

एक दिन एक प्यारी चिड़िया, आकर मुझपर बैठी थी
थोड़ी परेशान थी वो, पर उसकी बातें बड़ी मीठी थी

एक बात अच्छी थी उसमें, वो मुझसे न शर्माती थी
जब भी उसका मन होता था, वो गाकर मुझे सुनाती थी

उससे मुँह मोड़ लूँगा मैं 
ऐसा मुझसे बोली थी

मुँह से वो कुछ भी बोले
पर दिल की बड़ी भोली थी

अब न जाने क्या हुआ है उसको
अब यहाँ नहीं वो आती है

नजरें उसको दूर तक ढूँढे पर नज़र नहीं वो आती है.

तुम ही वो चिड़िया हो मेरी 
मेरी यादों में तेरा ठिकाना हुआ

आजाओ न वापस फ़िर से
तुम बिन ये पेड़ वीराना हुआ 

एक पेड़ था मैं दोस्ती का, 
जिसपर कई अजनबी परिंदों का आना जाना हुआ
हर परिंदे ने मुझसे दोस्ती की, 
और मेरी डाली पर, कुछ परिंदों का ठिकाना हुआ #tree एक पेड़ था मैं दोस्ती का, 
जिसपर कई अजनबी परिंदों का आना जाना हुआ

हर परिंदे ने मुझसे दोस्ती की, 
और मेरी डाली पर, कुछ परिंदों का ठिकाना हुआ

हर रोज़ कुछ परिंदे आते हैं, 
कुछ रुकते हैं, तो कुछ उड़ जाते हैं