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इरादा तो ये था कि ताउम्र तुम्हारी, मुस्कान की वजह

इरादा तो ये था कि ताउम्र तुम्हारी,
मुस्कान की वजह बनकर रहूं में ।
मगर कहा खबर थी ए "मनमीत",
खुद ही खुद से छलकर रहा हूं में ।।
सोचता था की तुम हो तो सब है, 
तुम्ही से मेरे जीवन की हर हद है।
खुदा के हर दर पर तेरी खुशी मांगी,
मेरे लिए तो महज तुम हो तो रब है।।
और भला क्या मांगता इबादत मे
 जब मन्नत संगबसर कर रहा हूं में ।
"मनमीत"


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