"मेरी मुस्कुराहट" उसको मेरी मोहब्बत का जो थोड़ा सा भरोसा था, मिला करते थे ख्वाबों में मैं जब भी मायूस होता था, तुम्हारी मुस्कुराहट जो मेरे दिल में बस जाती है, गिले-शिकवे भी रहते तो फिर पिघल जाती है, फिर भी तन्हाइयों में रहने का डर रोज होता है, पर मेरे ख्वाबों में जो यू ही तू हर रोज होता है, जो तुम्हारा यू मनाना "जां" मुझको खूब भाता है, पिघल जाता है दिल मेरा जब तुम्हारा फोन आता है, दिवाली में जो घर जाना बहुत ही याद आता था, तुमको छोड़ कर जाना मेरी जां "जां" ले जाता था, यही मेरी मोहब्बत का मीठा सा तराना है, मेरे बस गीत सुनने को ही इसका फोन आना है, मेरे बस गीत सुनने को ही उसका फोन आना है, - सूरज कुमार मेरी मुस्कुराहट........