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मैं अबोध बेहद रोता रहा दर्द में ,तुमनें न जानी कभी

मैं अबोध बेहद रोता रहा दर्द में ,तुमनें न जानी कभी मेरी आँखों का पानी
हे प्रिय.ह्रदय से विलग कर मुझे, तुम क्या लिखोगी मेरी रूहानी प्रेम कहानी!!
 ....यूं तो ज़िन्दगी आसन ही थी,
पर हमने चुना सदैव ही "कठिन" 
.
कितना आसान था यूं मेरे गोद में 
अपना सर रख तेरा मुझे घंटो निहारना,
और बिन पूछे यूं सारी बात कह जाना
पर हमने कभी सरल चुना ही नही।
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मैं अबोध बेहद रोता रहा दर्द में ,तुमनें न जानी कभी मेरी आँखों का पानी
हे प्रिय.ह्रदय से विलग कर मुझे, तुम क्या लिखोगी मेरी रूहानी प्रेम कहानी!!
 ....यूं तो ज़िन्दगी आसन ही थी,
पर हमने चुना सदैव ही "कठिन" 
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कितना आसान था यूं मेरे गोद में 
अपना सर रख तेरा मुझे घंटो निहारना,
और बिन पूछे यूं सारी बात कह जाना
पर हमने कभी सरल चुना ही नही।
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