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खामोशी वो शहनाई है जो किसी के बजाने से नहीं बजत

खामोशी 
वो शहनाई है 
जो किसी के 
बजाने से नहीं बजती| खामोशी वो शहनाई है जो किसी के बजाने से नहीं बजती|

सुशील ग़ाफ़िल
खामोशी 
वो शहनाई है 
जो किसी के 
बजाने से नहीं बजती| खामोशी वो शहनाई है जो किसी के बजाने से नहीं बजती|

सुशील ग़ाफ़िल