ज़ुबा बेशक है खामोश मेरी इन दिनों, लेकिन दिल में कई सवाल लिए बैठा हूं...... निकालुंगा भड़ास उस पर मैं ज़रूर, क्योंकि मन में इक उबाल लिए बैठा हूं....... मिलता है वो अक्सर छुप-छुप कर, मेरे रकीब से न जाने क्यों आज-कल.......... यही सोचकर मयखाने में पीकर शराब, मैं अपना हाल बेहाल किए बैठा हूं.............. ©Poet Maddy ज़ुबा बेशक है खामोश मेरी इन दिनों, लेकिन दिल में कई सवाल लिए बैठा हूं...... #Tongue#Silent#Questions#Heart#Angry#Boil#Mind#Today#Tomorrow#Alcohol.........