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#धम्मपद_ तथागत बुद्ध की अनमोल वाणी# मनोपुब्बङग्मा

#धम्मपद_ तथागत बुद्ध की अनमोल वाणी#

मनोपुब्बङग्मा धम्मा, मनोसेट्ठा मनोमया
मनसा चे पसन्नेन, भासति वा करोति वा
ततो नं सुखमन्वेति, छायाव अनपायिनी.

हिंदी: मन सभी धर्मों (प्रवर्तियों) का अगुआ हैं, मन ही प्रधान है, सभी धर्म मनोमय हैं. जब कोई व्यक्ति अपने मन को उजला रख कर कोई वाणी बोलता है अथवा शरीर से कोई कर्म करता है, तब सुख उसके पीछे ऐसे हो लेता है जैसे कभी संग न छोडने वाली छाया संग-संग चलने लगती हैं.

_प्रशांत सिंह मैत्रेय_

©धम्मपद
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