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मेरे दिल के पुस्तकालय में किताबें बेशुमार हैं, पढत

मेरे दिल के पुस्तकालय में किताबें बेशुमार हैं,
पढता उन्हीं को हूँ जिनसे मुझे प्यार है..!

माता पिता भाई बहन सभी किताबें रिश्तेदार हैं,
पर मेरी सबसे पसंदीदा मेरे पिता का प्यार है..!

कि खो गई है जो अब ढूँढ़ता में हर जगह,
उसी किताब की मुझको दरकार है..!

मेरी रूह मेरे जिस्म मेरे हृदय और,
मेरी अंतरात्मा की जो सरकार है..!

किताब प्रेम की भी है इसमें,
जिसका साथ बरक़रार है..!

मेरी हताशा निराशा को दूर करे,
वो भी मेरा घनिष्ट यार है..!

जिसके मुख्य पृष्ठ पर लिखा,
"शिवा"-मेरे जीवन का सार है..!

©SHIVA KANT
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