कहानी शीर्षक - बालू का ढेर कृपया कैप्शन में पढ़ें ✍️✍️ 🙏😊 शाम का समय था। रोज की तरह आज भी बालकनी में खड़े होकर मै और आराध्या बातें कर रहे थे । वो बोली - स्वप्निल, लॉकडाउन की तारीख़ तो फिर से बढ़ गई। मैनें भी हांँ में हांँ मिलाते हुए कहा - हांँ, आज सुबह न्यूज़ में देखा था। 2 मई तक बढ़ा दिया गया है। तभी अचानक बारिश होने लगी। आराध्या तार में टंगे कपड़े हटाने के लिए तेजी से दौड़ी। दुर्भाग्यवश उसका पैर फिसल गया और वह छत से नीचे गिर गई। मैं चिल्लाते हुए तेज़ी से सीढ़ियों से नीचे उतरा। उसकी मम्मी भी आवाज सुनकर नीचे आ गई। संयोग से वह बालू की ढेर में गिरी।