मुस्करा उठता है मन जब कदम आ बढ़ते है तेरी गलियों में एक बहार सी आ जाती है मुरझाई हुई कलियों में एक कदम , दो कदम, कदम कदम हर कदम में नई खुशी, नया एहसास होता है जब आता हूँ तेरी गलियों में तब नजरो के सामने तू मेरे पास होता है। तेरा छत से झाकना, मेरा छत की तरफ ताकना फिर अचानक एक साथ दोनो का पलट जाना तुम्हारा पिछे मुड़ना, मेरा गर्दन झुकाना। सब कुछ अच्छा सा लगता है, तेरी गलियों से गुजरना, कुछ ठहर सा जाना हर रोज भटकते हुए, तेरी गलियो में आना सब कुछ अच्छा सा लगता है, तेरे घर के सामने ना रुककर, आगे जा रुका दो घर गलत मत समझना, ये तो हिफाजत है तुम्हारी आया हूँ सिर्फ तुम्हारे लिए मगर जिसे ढूंढती है हर पल मेरी नजर वो तुम ही तो हो लेकिन शायद ये बात तुम नही जानती, मेरा इन गलियों में आना इसकी वजह शायद तुम कुछ और हो मानती। लेकिन मेरे दिल की जब सुनोगी। जब कभी भी सुनोगी मुझे तो तुम्हारी गलियों से भी प्यार है क्योकि ये तुम्हारी है। सोचो तुमसे कितना होगा। #तेरी_गालियां #शायरी #हिंदी #poem #sonuG