तुम्हारे सिवा हसरतें और भी हैं, हसीनों से कुर्बतें और भी हैं..... महज इश्क ही नहीं जिसमे वफा की जाए, निभाने को उल्फतें और भी हैं.... अगर मैं चाहता बदल सकता था तकदीर का लिखा भी, पर मेरी कलम को खुदा से शिकायतें और भी हैं..... #तुम्हारे_सिवा #कुर्बतें #उल्फतें #हसरतें #और_भी_हैं #तकदीर #शायर_ए_बदनाम